Lower Back Pain Description In Hindi

27
Mar

Lower Back Pain Description In Hindi

जब पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है तब उसे लोअर बैक पेन कहते हैं। ज्यादातर मामलों में यह दर्द मांसपेशियों में खिंचाव के कारण होता है। हमारी निचली पीठ के हिस्सा जो कि लंबर स्पाइन भी कहलाता है हड्डियों और जोड़ों और लिगामेंट्स को जोड़ता है। यह एक जटिल संरचना होती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द, किसी सर्जरी, मोच, या भारी वजन उठाने के कारण से हो सकता है। सही समय पर इलाज न करवाने की वजह से यह समस्या और ज्यादा जटिल हो सकती है। जिसकी वजह से उठने, बैठने और झुकने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

लक्षण

 

  • मांसपेशियों में ऐंठन।
  • नींद संबंधी समस्याएं।
  • सुन्नपन।
  • डिप्रेशन।
  • वजन का घटना।
  • दर्द रहना।
  • उठने, बैठने और चलने में दर्द।

कारण

 

  • पीठ के निचले हिस्से में मोच आना दर्द का कारण हो सकता है।
  • उठने बैठने में असावधानी, अचानक गिरने से चोट लगने के कारण भी दर्द हो सकता है।
  • पीठ के निचले हिस्से की मुद्रा का ठीक ना होना या फिर वजन उठा लेने की वजह से भी दर्द होता है।
  • इंटर्वर्टेब्रल डिस्क की चोट।
  • रीढ़ की हड्डी में परेशानी की वजह से भी दर्द उठ सकता है।
  • तंत्रिका जड़ संपीड़न।
  • खेल के दौरान लगी चोट।
  • मांसपेशियों में चोट या मोच।

इलाज

पीठ के निचले हिस्से में दर्द कभी-कभी बहुत पुराना दर्द भी होता है, जो समय के साथ आता जाता रहता है। यह क्रॉनिक पेन होता है जो कि किसी पुरानी चोट ऑपरेशन या पुरानी मारी की वजह से होता है। लेकिन समय पर ठीक ना होने की वजह से यह मरीज को काफी लंबे समय तक परेशान करता रहता है।

 

  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या के लिए आपको किसी एक्सपर्ट पेन फिजिशियन को दिखाना चाहिए।
  • एक्सपर्ट पेन फिजीशियन वह डॉक्टर होते हैं जो कि समस्या की जड़ तक जाते हैं और उसके बाद इलाज शुरू करते हैं।
  • पेन फिजीशियन दर्द के स्पेशलिस्ट होते हैं जो मरीजों को बहुत लंबे समय से चले आ रहे दर्द से भी राहत दिला पाते हैं।
  • मिनिमली इनवेसिव तकनीक द्वारा मरीज के दर्द का इलाज किया जाता है।
  • इस तकनीक मे बिना किसी दर्द और ऑपरेशन के मरीज को उसकी बीमारी से छुटकारा दिलाया जाता है।
  • मिनिमली इनवेसिव तकनीक से इलाज के द्वारा मरीज की समस्या को जड़ से खत्म कर दिया जाता है।
  • इस तकनीक में रक्त स्त्राव ना के बराबर होता है साथ ही मरीज को एक दिन में ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।