Occipital Neuralgia Hindi

11
Jun

Occipital Neuralgia Hindi

ऑक्सिपिटल न्यूरलजिया एक बिमारी है जिसमें सिर के पीछे या गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द रहता है। असल में यह सिर में होने वाले दर्द का एक प्रकार है।इस दर्द का प्रमुख कारण अॉक्सिपिटल नर्व (नस) में क्षति या दवाब होता है। इस स्थिति में गर्दन में धमक, स्पंन्दन, दर्द, जलन एवं बहुत कष्ट अनुभव होता है।

 

ऑक्सिपिटल नर्व क्या है?
ऑक्सिपिटल नर्व एक संवेदनात्मक नस है जो गर्दन के पिछले हिस्से से शुरू होती है और सिर के पिछले हिस्से में जाती है।


ऑक्सिपिटल न्यूरलजिया के लक्षण:-
इस स्थिति में सामान्य तौर पर गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द और इसके साथ साथ सिर के पिछले हिस्से से कपाल तक दर्द महसूस होता है।
यह दर्द सामान्य या तेज हो सकता है।
सिर के दोनों भागों (दायां व बायां) में एक साथ दर्द हो सकता है।
कई स्थितियों में दर्द कभी सिर के बाँयें भाग में तो कभी दाँयें भाग में हो सकता है।
कभी कभी यह दर्द इतना तीव्र महसूस हो सकता है जैसे बिजली का झटका लगा हो।
माइग्रेन का दर्द, सिर में होने वाले अन्य दर्द ।
रोशनी से संवेदनशीलता।
गर्दन को हिलाते समय पीड़ा होना; आदि ऑक्सिपिटल न्यूरलजिया के लक्षण हो सकते हैं।

ऑक्सिपिटल न्यूरलजिया के कारण :-
हालाँकि इसका प्रमुख कारण अॉक्सिपिटल नर्व में दबाव व असंतुलन से होता है परन्तु नर्व में असंतुलन व दबाव के कारण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं-
गर्दन के पिछले हिस्से में चोट लगना।
सिर के पिछले हिस्से में चोट लगना।
सर्वाइकल में आर्थरिटिस होना ऑकिपिटल नर्व पर दबाव बना सकता है।
सर्वाइकल में उम्र के साथ होने वाले संरचनात्मक बदलाव नस पर दबाव बना सकतें हैं।
डाइबिटीस।
गर्दन के पिछले हिस्से में इन्फेक्शन
सिर के पिछले हिस्से में इन्फेक्शन अहम कारण है।


ऑक्सिपिटल न्यूरेल्जिया के पता लगाने के तरीके:-
ऑक्सिपिटल न्यूरेल्जिया की जाँच का कोई विशेष तरीका नहीं है पर इसके लक्षण का पता लगाकर इसका पता लगाया जा सकता है। परन्तु फिर भी, एम.आर.आई., एक्स-रे, सी.टी.स्केन, के जरीये कुछ हद तक पुष्ठी की जा सकती है।


ऑक्सिपिटल न्यूरेल्जिया का उपचार:-
ऑक्सिपिटल न्यूरेल्जिया का इलाज सम्भव है परन्तु हर व्यक्ति पर भिन्न तरीका कारगर हो सकता है।कुछ को प्राचीन थेरेपी का प्रयोग कर दर्द में राहत मिल जाती है तो कुछ को दवाइयों से तथा कुछ को सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है जिससे तकलीफ में आराम मिले।


आम तौर पर प्राचीन तरीकों के इस्तेमाल से दर्द ठीक हो जाता है। इसमें शामिल तरीके हैं - योगाभ्यास, व्यायाम, स्ट्रेचिंग, शारीरिक आराम, मानसिक आराम, हीट मसाज के जरीये माँसपेशियों को आराम देकर उनमें तनाव को समाप्त कर दर्द को एक-दौ महीनों में समाप्त किया जा सकता है।


हालाँकि इन तरीकों के इस्तेमाल से दर्द सामान्य रूप से ठीक हो जाता है परन्तु ऐसा ना होने पर डॉक्टर एन्टी-इन्फ्लेमेटरी दवाओं का भी प्रयोग करते हैं।


यदि इससे भी लाभ ना मिले तो कुछ खास थेरेपी का प्रयोग किया जाता है।


(1)रिजोटोमी:- इस प्रक्रिया में नर्व में हो रहे दर्द को radiofrequency ablation तकनीक से नस को बिना नुक़सान करे दर्द को स्थायी रूप से जड़ से नष्ट कर दिया जाता है जिससे दर्द पूर्णतया समाप्त हो जाता है।


(2)न्यूरोलिसिस:- इस थेरेपी के दौरान नस के पास पहुँच कर विशेष तकनीक से अल्कोहल या ग्लिसरोल या hypertonic solution देकर उसके स्पंदन को शांत कर दिया जाता है


(3) Neurostimulation-इस तकनीक में विशेष प्रकार के स्टिम्युलेशन द्वारा तरंगो के द्वारा नस में हो रहे दर्द को स्थायी तौर पर रोका जा सकता है।