Knee Pain Description in Hindi

27
Aug

Knee Pain Description in Hindi

घुटनों का दर्द कैसे होता है? इसके लक्षण, कारण और उपचार क्या है?

बढ़ती उम्र के साथ घुटनों में दर्द होना एक आम समस्या है लेकिन घुटनों का दर्द सिर्फ बढ़ती उम्र के साथ ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है। कई बार घुटनों में किसी चोट की वजह से दर्द होने लगता है जैसे लिगामेंट का टूट जाना या कार्टिलेज का फट जाना। इसके अलावा घुटनों की बीमारियां जैसे कि गठिया, गाउट होने पर भी हमेशा घुटनों में दर्द बना रहता है।

घुटनों के कम दर्द को खत्म करने के लिए सामान्यतः  देखभाल और अन्य घरेलू उपाय काम आ जाते हैं। थोड़ा अधिक दर्द होने पर फिजिकल थेरेपी और घुटने में ब्रेसेजभी घुटनों को दर्द से राहत दिलाते हैं। घुटनों की सर्जरी वह आखरी उपाय होता है जिससे कि घुटनों के दर्द से राहत मिलती है।

 

घुटनों में दर्द का कारण क्या है?

घुटनों में दर्द के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ घुटनो की बीमारियां भी शामिल है -

  • गाउट - गाउट गठिया का एक रूप होता है जो यूरिक एसिड बनने की वजह से हो जाता है।
  • ओस्टियोआर्थराइटिस - जोड़ों के खराब होने और उनकी स्थिति एकदम बदतर होने के कारण दर्द सूजन और दूसरी समस्याएं होने लगती हैं।
  • टेंडइनाइटिस - सीढ़ियां चढ़ने और चलते समय अधिक दर्द होना टेंडइनाइटिस होता है इसमें घुटने के आगे वाले हिस्से में दर्द उभरता है।
  • बर्सिटिस - घुटनों का बार-बार सामान्य से अधिक उपयोग होना या चोट लगना आदि।
  • बेकर्स सिस्ट - घुटनों के पीछे वाले हिस्से में बिनोमियल द्रव का बनना।
  • लिगामेंट फ्रैक्चर - लिगामेंट घुटनों में एक उत्तक होता है जो दो हड्डियों को आपस में जोड़ने का काम करता है। घुटने में चार लिगामेंट होते हैं जिनमें से एक भी अगर टूट जाता है तो दर्द का कारण बन सकता है। यह उत्तक रेशेदार और लचीला होता है जो कि चोट की वजह से टूट सकता है।
  • डिसलोकेशन - जब हड्डी अपनी जगह से खिसक जाती है या उखड़ जाती है उस स्थिति को डिसलोकेशन कहते हैं। घुटने की ऊपरी हड्डी का डिसलोकेशन अधिकतर आघात के कारण होता है।
  • मेनिस्क टियर - घुटनों के कार्टिलेज में 1 या उससे ज्यादा फ्रैक्चर हो जाना।
  • घुटनों में खिंचाव, संक्रमण, चोट, मौच आदि हो जाना।

 

घुटनों में दर्द के लक्षण क्या है?

घुटनों में दर्द के लक्षण दर्द के हिसाब से अलग-अलग दिखाई दे सकते हैं -

  • घुटनों में दर्द महसूस होना।
  • सूजन और जकड़न होना।
  • घुटने से चलने पर आवाज आना।
  • प्रभावित त्वचा का लाल होना या छूने पर गर्म महसूस होना।
  • घुटने को पूरी तरह सीधा ना कर पाना।

 

घुटनों में दर्द के कारण का पता कैसे लगाते हैं?

  • एक्स-रे द्वारा घुटनों की हड्डियों में फ्रैक्चर और अन्य जोड़ से संबंधित रोगों का पता लगाया जाता है।
  • सिटी स्कैन से हड्डी की समस्याओं को दूर करने और घुटने में जोड़ों के ढीले हिस्सों का पता लगाने में मदद मिलती है।
  • एम आर आई का प्रयोग करके उत्तक की चोटों का पता लगाया जाता है। जैसे लिगामेंट, कार्टिलेज और मांसपेशियां।
  • घुटनों में हुए संक्रमण या गाउट जैसी समस्याओं का संदेह होने पर ब्लड टेस्ट कराया जाता है।

 

घुटनों के दर्द का इलाज क्या है?

  • दवाई - घुटनों के दर्द से राहत के लिए दवा की मदद ली जाती है।
  • थेरेपी - घुटनों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए डॉक्टर द्वारा थेरेपी का सुझाव दिया जाता है। इस थेरेपी का मुख्य उद्देश्य जांघों की आगे की मांसपेशियों और हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों को मजबूत बनाना होता है। कुछ स्थितियों में घुटनों को सहारा देने के लिए ब्रेसेज जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सप्लीमेंटल लुब्रिकेशन - यह एक गाड़ा द्रव्य होता है जोकि जोड़ों के प्राकृतिक द्रव जैसा ही होता है। यह घुटनों की गतिशीलता में सुधार लाने और दर्द को कम करने में मदद करता है। इसे इंजेक्शन द्वारा घुटनों में डाला जाता है इसके सिर्फ एक इंजेक्शन से 6 महीने से साल भर तक घुटनों में आराम रहता है।
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड - यह एक दवाई होती है जिसे इंजेक्शन के द्वारा घुटनों के जोड़ों में लगाने से गठिया के लक्षणों में कमी आती है और कुछ ही महीनों में दर्द से आराम मिल जाता है लेकिन इससे संक्रमण के जोखिम की भी संभावना होती है।
  • सर्जरी - अगर घुटने में कोई ऐसी चोट लगी है जिसमें सर्जरी की जरूरत है तब सर्जरी का सहारा लिया जाता है और घुटना प्रत्यारोपण किया जाता है।

JPRS न्यूरो स्पाइन क्लिनिक पर उपलब्ध है घुटने की परेशानियों के लिए नई तकनीकी सुविधाएं -

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  • इसका सार उच्च आवृत्ति तरंगों के साथ सीधे घाव पर ही प्रभाव डालता है।
  • इस तकनीक का शरीर के किसी भी दूसरे अंग पर दुष्प्रभाव नहीं होता।
  • यह प्रक्रिया आउटपेशेंट आधारित की जाती है।
  • इस तकनीक के द्वारा इलाज लेने पर मरीज को बहुत ज्यादा दिनों तक आराम नहीं करना होता है बल्कि बहुत जल्दी रिकवरी हो जाती है।
  • इस तकनीक का उपयोग करने के बाद दर्द तुरंत ही खत्म हो जाता है।

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