Migraine Hindi

30
Jun

Migraine Hindi

माइग्रेन (आधासीसी/अधकपारी) का दर्द सिर के दर्द का ही एक प्रकार है जो आम तौर पर सिर के एक हिस्से को प्रभावित करता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात में वृद्धि होने से सिर में दर्द होता है। माइग्रेन सिर के किसी एक हिस्से को प्रभावित करता है जिसमें असहनीय दर्द, रोशनी और ध्वनी से संवेदनशीलता आम है। अलग-अलग व्यक्ति के लिए इसका कारण अलग-अलग हो सकता है परन्तु आनुवांशिका इसके प्रमुख कारणों में से एक है।

माइग्रेन के लक्षण

वैसे तो सिर के किसी एक हिस्से में या पूरे सिर में बहुत तेज असहनीय दर्द माइग्रेन का अहम लक्षण है परन्तु इसके साथ-साथ कई अन्य लक्षण हैं जो आम तौर पर देखे जाते हैं, जैसे कि-

  • रोशनी और आवाज से संवेदनशीलता

  • उल्टी जैसा महसूस होना

  • सारा दिन बेवजह उबासी एवं आलस आना

  • सही तरह से नींद ना आना अथवा अच्छी नींद ना आना

  • असामान्य रूप से बार-बार लघुशंका जाना

  • हार्मोन्स में परिवर्तन

  • खाना खाने की इच्छा ना करना। आदि।

माइग्रेन के कारण

माइग्रेन आज की व्यस्त, अनुशासनहीन तथा तनाव भरी जीवन शैली के चलते एक आम समस्या हो गयी है। इसके प्रमुख कारण निम्न है:-

आयुर्वेद के अनुसार

आयुर्वेद कहता है कि बड़ता तनाव, वातावरण का बदलना, दिमाग सिर व चेहरे की धमनियों में रक्त संचार में असंतुलन, खान-पान में बदलाव, व नींद का पर्याप्त ना होना माइग्रेन का कारण हो सकता है। कभी-कभी जरूरत से ज्यादा नींद लेना भी माइग्रेन का कारण हो सकता है।

हार्मोन असन्तुलन

एस्ट्रोजन हार्मोन में कमीं अक्सर सिर में दर्द का कारण बन जाता है। यह हार्मोन अधिकतर महिलाऔं में कम हो जाता है और माइग्रेन जैसी समस्याए हो जाती हैं । महावारी के दौरान यह एक आम परेशानी है।

जीवन शैली

आज की व्यस्त जीवन शैली के चलते व्यक्ति अपने स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते और गलत आदतों ( सही समय पर भोजन ना करना अथवा गलत समय पर भोजन करना, सिगरेट व शराब का सेवन तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन) के चलते माइग्रेन जेसै दर्द उभरतें हैं।

सही मात्रा में पानी ना पीना शरीर में पानी की कमी कर देती है जो निर्जलीकरण जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं और निर्जलीकरण माइग्रेन के अहम कारणों में से एक है।


 

कुछ विशेष दवाओं का सेवन

महिलाए अक्सर गर्वनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल करतीं है जिसके परिणाम स्वरूप माइग्रेन हो सकता है।

बचाव

जीवन में प्रत्येक व्यक्ति कभी ना कभी सिर दर्द जरूर महसूस करता है यही दर्द जब सामान्य से बढकर अधिक हो जाता है तो माइग्रेेन का रूप ले लेता है।इसे रोकने के लिये निम्न प्रयास किये जा सकता है:-

  • माइग्रेन का प्रमुख कारण तनाव है अतः पीडित व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिये कि वह तनाव मुक्त रहे।

  • निर्जलीकरण के कारण भी माइग्रेन होता है इसलिए समय-समय पर खुद को हाइड्रेड करना आवश्यक है। व्यक्ति को कम से कम 9-12 गिलास पानी एक दिन में पीना चाहिये।

  • रोजाना उचित योगा व व्यायाम करने से भी माइग्रेन से छुटकारा पाया जा सकता है।

  • तनाव से दूर रहने के लिए जरूरी है कि पर्याप्त नींद ली जाए। 20 से अधिक अम्र के व्यक्ति को कम से कम 8 घंटा एक दिन में सोना चाहिये। ध्यान देने योग्य बात यह है कि जरूरत से ज्यादा सोना भी माइग्रेन का कारण बन सकता है इसलिए ज्यादा भी ना सोयें।

  • शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा होने पर भी माइग्रेन की शिकायत हो सकती है अतः मोटापा ना बढने दें उसे नियंत्रण में रखें और यदि अधिक मोटापा है तो कोशिश करें की उसे कम किया जा सके।

  • सिगरेट, शराब व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिये।

  • समय पर सन्तुलित भोजन करें और यह जानने का प्रयास करें किस भोजन विशेष से माइग्रेन का दर्द शुरू होता है और जितना हो सके उसके सेवन से बचें।

इलाज

माइग्रेन के दर्द से बचाव के लिए वर्तमान में पर्याप्त दवायें व इलाज उपलब्द हैं।

  • दर्द निवारक दवायें आम तौर पर माइग्रेन से राहत पाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं एवं ये कारगर भी हैं।एस्पिरिन या आइबुप्रोफेन, एसिटामिनोफेन, सुमाट्रिप्टन, डायहाइड्रोएरोगाटामिन, ओपियोइड, ग्लूकोकॉर्टीकॉइड दर्द निवारक दवाओं के कुछ उदाहरण हैं जो माइग्रेन के दर्द में तुरन्त राहत देने के लिए लाभप्रद हैं। लेकिन इनका इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किया जाना चाहिये।

  • निरोधक दवायें जैसे बीटा ब्लॉकर, मेटोप्रोलोल टार्ट्रेट, टाइमोलोल, वेरापामिल आदि का इस्तेमाल किया जाता है।

सावधानी :- किसी प्रकार की दवा बिना डॉक्टर की सलाह के ना लें।

ओनाबोटलिनम टोक्सिन (बोटोक्स) इन्जेक्शन इस श्रेणी में बहुत लाभदायक साबित होता है। इसका इस्तेमाल तभी किया जाता है जब अन्य उपचार निष्फल हो जातें हैं। इसे संयुक्त राज्य अमेरिका खाद्य एवं ड्रग्स प्रशासन द्वारा मंजूरी प्राप्त है।