Cervicogenic Headache Description in Hindi

09
Sep

Cervicogenic Headache Description in Hindi

सर्वाइकोजेनिक हेडेक क्यों होता है? इसके लक्षण, कारण और उपचार क्या है?

सर्वाइकोजेनिक सिर दर्द से जुड़ी एक समस्या है। सिर दर्द के कई प्रकार होते हैं जिनमें से सर्वाइकोजेनिक एक प्रकार है। यह दर्द माइग्रेन के दर्द की तरह हो सकता है, लेकिन यह माइग्रेन नहीं होता है। माइग्रेन और सर्वाइकोजेनिक के दर्द में यह मुख्य अंतर होता है कि माइग्रेन का दर्द ब्रेन से शुरू होता है जबकि सर्वाइकोजेनिक दर्द गर्दन से शुरू होता है।

गर्दन के सभी दर्दों को सर्वाइकल दर्द समझना उचित नहीं होता है।

इस दर्द की शुरुआत मध्यम दर्द से होती है लेकिन कभी-कभी इस दर्द की इनसे इंटेंसिटी बहुत अधिक बढ़ जाती है। यह दर्द गर्दन, सर और चेहरे की एक तरफ उठता है।

बीमारी के लक्षण -

  • इसका दर्द गर्दन से लेकर सिर तक के हिस्से को प्रभावित करता है।
  • यह दर्द कंधे और बांह की एक तरफ होता है।
  • इसकी वजह से गर्दन का लचीलापन कम हो जाता है।
  • इसकी वजह से गर्दन के पीछे माथे, कान के आसपास के हिस्से प्रभावित होते हैं।
  • आंखों मे सूजन और नजरों का कमजोर होना भी इस बीमारी में देखा जाता है।
  • कुछ मामलों में यह गर्दन और सिर के दोनों हिस्सों को भी प्रभावित करता है।
  • इस बीमारी के दर्द की इंटेंसिटी कम से लेकर बहुत अधिक तक हो सकती है।

इस बीमारी के कुछ असामान्य लक्षण इस तरह है -

  • आवाज और रोशनी के प्रति संवेदनशीलता।
  • चक्कर आना।
  • सिर और गर्दन के दोनों तरफ दर्द उठना।
  • आंखों और प्रभावित हिस्सों में सूजन हो जाना।
  • इस बीमारी का सीवियर अटैक होने पर सिर और चेहरे को छूने पर भी दर्द महसूस होता है।

बीमारी के कारण -

  • किसी चोट या दूसरी बीमारी के कारण भी सर्वाइकोजेनिक दर्द उठ सकता है।
  • काम के दौरान या खड़े रहने के समय सही स्थिति में पाश्चर का ना होना।
  • सोते समय आप की स्थिति का गलत होना।
  • ट्यूमर।
  • काम करते समय या किसी भी दूसरे कारण से गर्दन की मसल्स का ज्यादा इस्तेमाल होना।
  • पुराना ओस्टियोआर्थराइटिस।

बीमारी का परीक्षण और उपचार -

  • सर्वाइकोजेनिक सिर दर्द का उपचार करने के लिए इंटरवेंशनल पेन फिजीशियन मरीज से उसकी हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं कि पहले उन्हें कोई ऐसी बीमारी या चोट तो नहीं रही जिसकी वजह से यह दर्द हो रहा है।
  • डॉक्टर द्वारा दर्द का स्वभाव, प्रकार, लक्षण पूछा जाता है जिससे कि सही नतीजे पर पहुंचा जा सके।
  • गर्दन का लचीलापन कितना कम हुआ है इसके बारे में भी जानकारी ली जाती है।
  • सर्वाइकल रीजन में होने वाली चोट या ट्रॉमा के बारे में भी जानकारी लेते हैं।
  • डॉक्टर द्वारा गर्दन को छूकर सूजन व अन्य समस्याओं का पता लगाया जाता है इसके साथ ही गर्दन की रेंज और मूवमेंट को भी देखा जाता है।
  • डॉक्टर द्वारा मरीज के हाथ और बाजू को एग्जाम आइन करके उनकी स्ट्रैंथ और सेंसेशन का पता लगाने की कोशिश की जाती है।
  • बहुत से मामलों में सर्वाइकल मैनिपुलेशन से भी काफी हद तक आराम मिलता है।
  • एक्सरे सीटी स्कैन और एमआरआई के द्वारा भी इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
  • दर्द और कारण का पता लगने के बाद डॉक्टर कुछ दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं।
  • गर्दन की मसल्स को मजबूत करने के लिए फिजिकल थेरेपी की सलाह भी दी जाती है।
  • कुछ मामलों में नर्व कंप्रेशन होने पर सर्वाइकोजेनिक हेडिक से राहत दिलाने के लिए इंजेक्शन और सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।
  • पेन फिजिशियन इसके उपचार के लिए नॉनसर्जिकल तकनीक जैसे Radiofrequency , न्यूरो स्टीमुलेशन, लेजर, इत्यादि से स्थाई ईलाज कर सकते हैं।इसके उपरांत किसी प्रकार से लंबे समय तक दर्द निवारक दवा या  फिजियो एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं रहती हैं।
  • लेकिन सिर में हो रहे दर्द को माइग्रेन समझ कर अपने अनुसार प्रयोग न करें क्योंकि ये बीमारियां शरीर के मुख्य हिस्सा जैसे ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से सम्बन्धी होती है।