difference between claudication and radiculopathy?

12
Feb

difference between claudication and radiculopathy?

क्लॉडिकेशन[claudication] या नसों में खिचाव[radiculopathy क्या होता है ?

दोनों परिस्तिथियों में टांगो में दर्द होता है ,जिसको मूलतःआपका डॉक्टर बिना doppler या mri के बताने में असमर्थ हो सकता है !

Claudication -

अगर चलते-फिरते समय कभी अचानक आपकी जांघ या पैरों की मांसपेशियों या पिण्डली में दर्द होता है, तो इसका मतलब आपको क्लॉडिकेशन[claudication ] की समस्या हो सकती है। क्लॉडिकेशन की समस्या अक्सर एक्सरसाइज करने से ,या तेज गति से चलने से होती है। दरअसल, एक्सरसाइज के दौरान आपकी मांसपेशियों में बहुत कम रक्त प्रवाह होने के कारण क्लॉडिकेशन दर्द होता है। इस स्थिति को (intermittent claudication) भी कहा जाता है क्योंकि दर्द आमतौर पर स्थिर नहीं होता है। ऐसा ब्लड सर्कुलेशन धीमा होने की वजह से होता है। क्लॉडिकेशन धमनी रोग का एक लक्षण हो सकता है। जब पैर की धमनी सि​कुड़ जाती है तो मांसपेशियों में खून का प्रवाह कम हो जाता है। इससे पैरों में जकड़न या अकड़न पैदा हो जाती है। फिर चलते समय तेज दर्द महसूस होता है। आमतौर पर आराम करने के बाद यह दर्द चला जाता है। क्लॉडिकेशन की समस्या उन व्यक्तियों में ज्यादा दिखती है जिन्हें दिल या मस्तिष्क,या डायबिटीज से जुड़ी कोई ​बीमारी होती है। क्लॉडिकेशन से हार्ट अटैक आने की भी संभावना ज्यादा होती है। ये बीमारी होने पर सही उपचार की जरूरत होती है। आमतौर पर क्लॉडिकेशन का असर चलते समय दिखाई देता है। कभी-कभी ये दर्द इतना बढ़ जाता है कि मरीज चल भी नहीं पाता है।

Radiculopathy -

इस स्थिति में स्पाइनल कॉर्ड से निकलने वाली नसे जो पैरों में अपने अपने एरिया को सप्लाई करती है विभिन्न कारणों से दबाव के कारण जैसे स्लिपडिस्क ,स्पाइनल स्टेनोसिस,टीबी ,कैंसर ,या वेर्टेब्रा का फ्रैक्चर,डायबिटीज इत्यादि !

इस हालत में स्पाइनल नसों में इतना दबाव हो जाता है की मरीज़ की टांगो में खड़ा या चलने या बैठने के दौरान जुनझुनात ,जलन ,सुई का सा चुब्ना या दबाव महसूस होता है इन सभी स्थिति में मरीज़ को शुरुआती दौर में आराम या एक्सरसाइज से निजात मिल सकती है ,साथ ही न्यूरोलॉजिस्ट या पैनफीजीशन डॉक्टर द्वारा कुछ प्रकार की दवा भी देते है,अधिकतर केसेस में स्लीपडिक रोगी जो की L4-5,या L5-S1 से ग्रसित है इस समस्या को ज्यादातर देखा जाता है!

यदि मरीज़ इस दर्द के कारन लम्बे समय से ग्रसित है साथ ही दवाई खाने या फिजियोथेरेपी इत्यादि काफी हद तक ले चूका हो ,ऐसे मरीज़ो को सर्जरी की सलाह दी जाती है !

क्लॉडिकेशन या रेडिक्लोपेथी जैसे लक्षणों को स्पेशलिस्टpainphysician, न्यूरो डॉक्टर या वैस्कुलर सर्जन की देखरेख में इलाज लेना चाइये !