Kyphoplasty Description in Hindi

01
Nov

Kyphoplasty Description in Hindi

काइफोप्लास्टि एक तरह की सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसमें रीढ़ की हड्डियों में फ्रैक्चर से उत्पन्न समस्या का समाधान किया जाता है। मुड़ी हुई रीढ़ की हड्डी, कंप्रेशन फ्रैक्चर से रीढ़ की हड्डी में दर्द आदि के लिए इस सर्जरी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा दूसरी बीमारियों जैसे ओस्टियोपोरोसिस और कैंसर में भी कमजोर और नाजुक हो चुकी हड्डियों को सुविधाजनक बनाने के लिए इस सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इस प्रक्रिया में रीढ़ की हड्डी में सीमेंट का मिश्रण डाला जाता है। इसके लिए पहले गुब्बारे को अंदर इंजेक्ट कर दिया जाता है फिर उस में सीमेंट भरकर गुब्बारे को बाहर निकाल देते हैं।

काइफोप्लास्टि कब की जाती है?

इस सर्जरी की जरूरत तब होती है जब रीढ़ की हड्डियों से जुड़ी परेशानी या हड्डियों में सिकुड़न होने लगती है और भी कुछ अन्य तरह के लक्षण इस प्रकार हैं -

    •    लगाकर पीठ में दर्द रहना।
    •    रीढ़ से जुड़ी किसी भी क्रिया के दौरान दर्द होना।
    •    पीठ का अकड़ना।
    •    खड़े होने चलने के दौरान दर्द महसूस होना।
    •    झुकने या वजन उठाने में असमर्थता।

इस सर्जरी को करने के पहले डॉक्टर द्वारा मरीज के कुछ परीक्षण किए जाते हैं जो इस प्रकार हैं-

    •    ब्लड टेस्ट।
    •    एमआरआई स्कैन।
    •    x-ray
    •    CT SCAN

    •    काइफोप्लास्टि सर्जरी की प्रक्रिया क्या होती है?

सर्जरी शुरू करने के पहले मरीज को एनएसथीसिया नसों के माध्यम से दिया जाता है। इसके अलावा दर्द रोकने के लिए भी कुछ दवाएं दी जा सकती है।  इस प्रक्रिया में लगभग 1 घंटे का समय लग सकता है-

    •    काइफोप्लास्टि वर्टेब्रल फ्रैक्चर का इलाज करने के लिए की जाती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है। जिसमें ट्यूब को छोटे चीरे के माध्यम से पीठ के अंदर डाला जाता है। इस प्रक्रिया में वर्टेब्रल फ्रैक्चर के माध्यम से एक रास्ता बनाया जाता है ट्यूब को अंदर तक पहुंचाने के लिए।
    •    एक्स-रे की मदद से गुब्बारा फ्रैक्चर कशेरुक पर फुलाया जाता है ताकि हड्डी की स्थिति सही हो सके। इसके साथ ही कशेरुक को उसके सामान्य स्थान पर लाकर अंदर एक गुहा बनाई जाती है। जगह बनाने के बाद गुब्बारे को हटा दिया जाता है और अंदर सीमेंट भर दिया जाता है। यह सीमेंट हड्डी को स्थिर बनाने के लिए भरा जाता है।
    •    यह एक मिनिमल नवेसिव तकनीक के माध्यम से की जाने वाली प्रक्रिया है जिसमें बहुत ही छोटे से चेहरे के माध्यम से इस सर्जरी को अंजाम दिया जाता है।
    •    इस प्रक्रिया में चीर फाड़ ना के बराबर होती है और रक्त स्त्राव भी बहुत कम होता है साथ ही दर्द की तीव्रता भी ना के बराबर होती है।

JPRC न्यूरो स्पाइन क्लीनिक जयपुर द्वारा भारत में पहली बार इंटरवेंशनल दर्द चिकित्सक और न्यूरोसर्जन की मदद से नर्व शाखाओं का रेडियो फ्रीक्वेंसी और न्यूरोमॉड्यूलेशन से इलाज किया गया है।